कलयुग का कैलाश || Kailash Of Kalyug In Hindi

कलयुग का कैलाश

Kailash Of Kalyug

कलयुग का कैलाश  को समझा जाए तो उस  कलियुग कि बात करी जा रही है जिसकी व्याख्या हमारे धर्मग्रंथो में करी गयी है | कलयुग  जिसे सारे युगों का अन्त कहा गया है कहा तो यह भी गया है कि कलयुग एक ऐसा  युग होगा जिसमे लोगो पूजा पाठ को छोड़ देगे और झूट , लोभ , चोरी ,का सहारा लेगे |  इस  युग के अन्त  में एक महादानव कलिराज जिससे कलिपुरुष भी कहते है उसका  जन्म  होगा जो कि रावन जैसे महादानव से भी कई गुना शक्ति शाली होगा जिसके शरीर इतना बड़ा होगा कि हर मानुषीय उसके  आगे चीटी के समान दिखाई देगा उसका रंग काला होगा जो कि ओस्से और भयानक दर्शाएगी साथ ही उसकी जीभ बहुत लम्बी होगी और वह इतना शक्ति शाली होगा कि हर कोई उससे डरेगा और उसी का अन्त करने के लिये भगवान विष्णु कल्कि के रूप ने अवतार लेंगे और अपने घोड़े जिसका नाम देवदत्त होगा उस पर सवार होकर कलिराज का अन्त करेगे |मगर कहा होगा उनका जन्म यह आज भी एक रह्सिया बना हुआ है और इसी ही एक जगह जो इतनी रह्सिय्मय है कि वैज्ञानिक भी उसके बारे में सोच कर आच्म्बित है वह जगह है कैलाश पर्वत वाही कैलाश पर्वत जिससे वैज्ञानिक एक्सेस मुण्डी कहते है |आखिर क्या छुपा है कैलश में जो वह अभी तक कोई व्यक्ति पता नहीं लगा पाया है यहा तक वह पर अभी तक कोई व्यक्ति चढ़ तक नहीं पाया है |

कलयुग का आरम्भ

पुराणों में कहा गया है कलयुग में जब कलिराज का आतंक हद से बढ़ जाएगा तब कलयुग  जिसे सारे युगों का अन्त कहा गया है कहा तो यह भी गया है कि कलयुग एक ऐसा  युग होगा जिसमे लोगो पूजा पाठ को छोड़ देगे और झूट , लोभ , चोरी ,का सहारा लेगे |  इस  युग के अन्त  में एक महादानव कलिराज जिससे कलिपुरुष भी कहते है उसका  जन्म  होगा जो कि रावन जैसे महादानव से भी कई गुना शक्ति शाली होगा जिसके शरीर इतना बड़ा होगा कि हर मानुषीय उसके  आगे चीटी के समान दिखाई देगा उसका रंग काला होगा जो कि उसे और   भयानक दर्शाएगी साथ ही उसकी जीभ बहुत लम्बी होगी और वह इतना शक्ति शाली होगा कि हर कोई उससे डरेगा और उसी का अन्त करने के लिये भगवान विष्णु कल्कि के रूप ने अवतार लेंगे और अपने घोड़े जिसका नाम देवदत्त होगा उस पर सवार होकर कलिराज का अन्त करेगे  कलयुग का अंत और एक नये युग कि शरुआत होगी |मगर कहा होगा कल्कि का जन्म? यह आज भी एक बड़ा रह्सिय हैI कहा तो यह भी गया है कल्कि वह आयेगे जहा सात चिरंजीवी व सात सप्त ऋषि आज भी जीवित हो  और जहा यह सभी कल्कि के इंतज़ार में अपनी तपस्या में लीन हो और साथ ही यह सब वही से कल्कि को सीखेगे ब्रह्मविद्या और उन अश्त्र-शस्त्र का ज्ञान जो रामायण और महाभारत काल के बाद लुप्त हो गयेI इंडियन वैदिक स्क्रिप्ट कि माने तो हिमालय पर्वत शंखला के ही एक पर्वत में यह रह्सिय छुपा हुआ है जहा आज भी यह महामानव अपनी तपस्या में लीन है|

क्या है कैलाश पर्वत

कलयुग का कैलाश
 कैलाश पर्वत जहा वक्त भी अपनी रफ़्तार कई गुना तेज़ हो जाता है जहा जाने पर यह दुनिया एक अलग ही दुनिया में परिवर्तित हो जाती है और साथ ही जहा रेडार नेविगेशन सिस्टम भी काम नहीं करता है तो क्या समय से परे है कैलाश?…क्या आप जानते है कैलाश पर्वत एक ऐसा पर्वत है जहा आज तक कोई चढ़ नहीं पाया है यहाँ तक कि माउन्ट एवरेस्ट पर 7000 से ज्यादा लोग चढ़ चुके है बल्कि कैलाश पर्वत कि ऊचाई 6,638 मिटर है कैलाश पर्वत के पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा राक्षश ताल झील स्थित है | मनसरोवर जहा आसमान से तारे फरिश्तो कि तरह निचे उतरते है और पलक झपकते बदलो में चुप जाते है आज कि इस मानसरोवर को वैदिक काल में शीर सागर कहा जाता था वही शीर सागर जहा भगवान विष्णु अपने शेष नाग पर बेठे इस संसार का पालन करते है और कहा तो यह भी जाता है शेष नाग ही इस पर्थ्वी को अपने फन पर उठाए हुए है तो आज जिस कैलाश को वैज्ञानिक एक्सेसमुण्डी कह कर पुकारते है उसी कैलाश के नीचे वह शेष नाग छुपा हुआ है | दूसरी तरफ है राक्षश ताल झील जो कि अच्छाई से ज्यादा बुराई का प्रतीक मानी जाती है इस झील में सिर्फ खरा पानी ही मिलता है पुराणों में देखा जाए तो इस झील का निर्माण रावण ने करा था जब रावन कैलाश आया और आपनी तपस्या करी जब इसका निमार्ण करा और वाही पर शिवजी से वरदान पाया तभी से इसका नाम राक्षस ताल पढ़ गया |बुद्ध ग्रंतो कि माने को कैलाश के अंदर एक ऐसा शहर है जिसकी न कोई जमीन है ना ही कोई आसमान इस शहर को कोई संगरीला के नाम से जनता है तो कोई सम्भाला तो कई वैज्ञानिक इसे एलियन कि दुनिया कहते है मगर हिन्दुओ के लिये यह है शिव का निवास है उनका कैलाश |

वैज्ञानिक खोज

कई लोग कैलाश पर्वत को धरती और स्वर्ग को जोड़ने वाला मार्ग मानते हैं। वैज्ञानिकों ने इसकी जांच के प्रयास किए, लेकिन रहस्यमयी घटनाओं का सामना करना पड़ा। उपकरणों से ली गई तस्वीरों में सिर्फ भगवान शिव की आकृति दिखी। पर्वत पर चढ़ते समय उन्होंने एक विशेष ऊर्जा महसूस की और ‘ॐ’ व डमरू की ध्वनि सुनी। उनके नाखून व बाल तेज़ी से बढ़ने लगे। स्थानीय लोगों ने शिव के साक्षात दर्शन और रहस्यमयी रोशनी की बात कही, जिसे वैज्ञानिकों ने चुंबकीय तरंग बताया। बाद में खबर आई कि कई वैज्ञानिकों की मृत्यु हो गई, और कैलाश का रहस्य आज भी अनसुलझा है।

फिर भी कई सवाल बाकी हैं – कैलाश पर ही क्यों दिखते हैं हिममानव? क्या राक्षस ताल में रावण जैसे असुरों की आत्माएं भटकती हैं? कौन हैं महा अघोरी? वह कौन सी रोशनी है जो सिर्फ कैलाश पर दिखाई देती है? क्या सच हैं वहां की रहस्यमयी आवाज़ें?

अभी भी कई सवालों के जवाब मिलने बाकि हे क्यों कैलश पर ही दीखते है हिममानव? कहा रहते है महा अघोरी? क्या कैलश के राक्षस ताल में आज भी रावण जैसे आसुरो कि रूह घुमती है? क्यों दुनिया से परे है कैलश? वह कोनसी रौशनी है को कैलश पर दिखाई देती है? क्या सच है उन आवजो का जो कैलश पर सुनाई पड़ती है?

निष्कर्ष

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार चार युग होते हैं: सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। कलियुग को सबसे भयावह युग माना गया है, जिसमें पाप अपनी चरम सीमा पर होगा और एक भयानक दानव जन्म लेगा, जिसे भगवान विष्णु का नया अवतार समाप्त करेगा। पर उसका जन्म कहाँ होगा, यह अब भी रहस्य है। कैलाश पर्वत, जिसे भगवान शिव का निवास माना जाता है, इसी रहस्य से जुड़ा हो सकता है। यह पर्वत कई रहस्यों से भरा है – जैसे मानसरोवर झील, राक्षस ताल, रहस्यमयी आवाजें, रोशनियाँ और हिममानव। यहां कोई आम व्यक्ति अब तक नहीं पहुँच पाया, जिससे यह स्थान और भी रहस्यमय बन गया है। यह पर्वत शिव भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है और शायद यही स्थान कलियुग के सबसे बड़े रहस्य को भी समेटे हुए है |

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4 thoughts on “कलयुग का कैलाश || Kailash Of Kalyug In Hindi”

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